सिरसा ( प्रैसवार्ता ) जाट, गैरजाट की राजनीति की चपेट में आ चुकी हरियाणवी राजनीति में राज्य के ज्यादातर जाट मतदाताओं का रूझान इनैलो पक्षीय देखा जा रहा है, वहीं गैरजाटों में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डा. अशोक तंवर ने मजबूत पकड बना ली है। पंजाबी मुख्यमंत्री होने के बावजूद प्रदेश के पंजाबी समुदाय का रूझान तंवर पक्षीय देखा जा रहा है। इस समुदाय का एक बडा वर्ग कांग्रेस के शासनकाल में भूपेंद्र हुड्डा के कारण कांग्रेस को छोडकर भाजपा का भगवा ध्वज उठाने पर मजबूर हो गया था, मगर भाजपाई शासन में जाट आरक्षण अंदोलन में पंजाबियों को मिले जख्मों ने इस समुदाय को कांग्रेस में अपना मान-सम्मान और सुरक्षा नजर आने लगी है, क्योंकि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने हुड्डा को तव्वजो न देकर डा. तंवर को कमान सौंपी। हुड्डा के मुख्यमंत्री कार्यकाल में एक भी पंजाबी मंत्री नहीं था और न ही इस समुदाय का कोई प्रशासनिक अधिकारी महत्वपूर्ण पद पर तैनात था। हुड्डा की पंजाबी विरोधी सोच से खफा पंजाबियों ने भाजपा की तरफ ध्यान बढाया और प्रदेश में पहली बार भाजपा की अपनी सरकार बनी। पंजाबी समुदाय की मदद से सत्ता में पहुंची भाजपा ने पंजाबी मुख्यमंत्री बनाकर इस वर्ग को चौधर दी, मगर चौधरी पंजाबियों पर खरा नहीं उतर पाये। पंजाबी समुदाय की भाजपाई शासन से नाराजगी का लाभ तंवर को मिलने लगा, क्योंकि इनैलो जाट समुदाय की वकालत करती है और हुड्डा का इस समुदाय से प्रेम जगजाहिर है। तंवर न सिर्फ दलित समाज के नेता रहे बल्कि गैरजाटों में भी भारी पकड के साथ उभरे हैं। राज्य के गैरजाट भी तंवर के नेतृत्व को स्वीकार कर रहे है, ऐसी राजनीतिक तस्वीर हरियाणवी राजनीति में देखने में मिल रही है।
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गैर जाटों में विशेष पहचान बना रहे है- डा. अशोक तंवर
सिरसा ( प्रैसवार्ता ) जाट, गैरजाट की राजनीति की चपेट में आ चुकी हरियाणवी राजनीति में राज्य के ज्यादातर जाट मतदाताओं का रूझान इनैलो पक्षीय देखा जा रहा है, वहीं गैरजाटों में कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डा. अशोक तंवर ने मजबूत पकड बना ली है। पंजाबी मुख्यमंत्री होने के बावजूद प्रदेश के पंजाबी समुदाय का रूझान तंवर पक्षीय देखा जा रहा है। इस समुदाय का एक बडा वर्ग कांग्रेस के शासनकाल में भूपेंद्र हुड्डा के कारण कांग्रेस को छोडकर भाजपा का भगवा ध्वज उठाने पर मजबूर हो गया था, मगर भाजपाई शासन में जाट आरक्षण अंदोलन में पंजाबियों को मिले जख्मों ने इस समुदाय को कांग्रेस में अपना मान-सम्मान और सुरक्षा नजर आने लगी है, क्योंकि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने हुड्डा को तव्वजो न देकर डा. तंवर को कमान सौंपी। हुड्डा के मुख्यमंत्री कार्यकाल में एक भी पंजाबी मंत्री नहीं था और न ही इस समुदाय का कोई प्रशासनिक अधिकारी महत्वपूर्ण पद पर तैनात था। हुड्डा की पंजाबी विरोधी सोच से खफा पंजाबियों ने भाजपा की तरफ ध्यान बढाया और प्रदेश में पहली बार भाजपा की अपनी सरकार बनी। पंजाबी समुदाय की मदद से सत्ता में पहुंची भाजपा ने पंजाबी मुख्यमंत्री बनाकर इस वर्ग को चौधर दी, मगर चौधरी पंजाबियों पर खरा नहीं उतर पाये। पंजाबी समुदाय की भाजपाई शासन से नाराजगी का लाभ तंवर को मिलने लगा, क्योंकि इनैलो जाट समुदाय की वकालत करती है और हुड्डा का इस समुदाय से प्रेम जगजाहिर है। तंवर न सिर्फ दलित समाज के नेता रहे बल्कि गैरजाटों में भी भारी पकड के साथ उभरे हैं। राज्य के गैरजाट भी तंवर के नेतृत्व को स्वीकार कर रहे है, ऐसी राजनीतिक तस्वीर हरियाणवी राजनीति में देखने में मिल रही है।
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