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गुरुग्राम नगर निगम चुनाव परिणाम ने बढ़ाई भाजपा की बेचैनी: भाजपा विधायक की भाभी हारी

सिरसा(प्रैसवार्ता)। देश में तेजी से कम हो रहे भाजपाई जनाधार ने भाजपाई मिशन 2019 की बेचैनी बढ़ा दी है। दिल्ली के बवाना विधानसभाई उप चुनाव, मध्य प्रदेश के 43 अनुसूचित निगमों के चुनाव पंजाब, राजस्थान, असम उपरांत दिल्ली छात्र संघ के चुनावों में भाजपा को मिली पराजय से भाजपा को एक बड़ा झटका लगा है। दिल्ली की सीमा से तीन तरफ से सटे हरियाणा राज्य के गुरुग्राम नगर निगम के चुनाव परिणाम भाजपा के लिए शुभ संकेत नहीं कहे जा सकते। वर्ष 2014 में युवा वर्ग ने भाजपाई शासन लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी, मगर अब युवा वर्ग का भाजपा से मोह भंग हो रहा है, क्योंकि भाजपा युवा वर्ग की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाई। देशभर में हिचकोले खा रही भाजपा से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ काफी चिंतित देखा जा रहा है और वह ऐसी रणनीति तैयार करने में जुट गया है कि मिशन-2019 को कैसे अमलीजामा पहनाया जाए। भाजपा का एक वर्ग, जहां भाजपाई शासन से भाजपाई दिग्गज खफा है, में नेतृत्व परिवर्तन के साथ साथ संगठन में भी बदलाव की वकालत कर रहा है। गुरुग्राम नगर निगम चुनाव परिणाम से हरियाणवी राजनीति में हलचल बढ़ गई है। कांग्रेस अपना मेयर तो बना नहीं सकी, मगर भाजपा के स्पष्ट बहुमत से मेयर का ख्वाब देखने वाली खट्टर सरकार के मंसूबो पर पानी फेरने में जरूर सफल रही है। कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन प्रभावी नहीं रहा, क्योंकि मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर से राजनीतिक मतभेदों के चलते समांतर कांग्रेस चला रहे भूपेंद्र हुड्डा ने इस चुनाव से दूरी बनाते हुए शीर्ष नेतृत्व पर दवाब का एक ओर कार्ड खेला था, जिससे कांग्रेसी जनाधार को जरूर झटका लगा है। इनैलो की भी इस चुनाव में कोई लहर दिखाई नहीं दी और उसे भी नगर निगम गुरुग्राम के चुनाव में राजनीतिक नुकसान पहुँचा है। कांग्रेस और इनैलो की बदौलत बागी और निर्दलीयों का बोलबाला रहा है। कांग्रेस इस बात से उत्साहित है कि पूरी सरकार की जोश अजमाईश के बाद भी भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। हरियाणा में विधानसभा चुनाव में लगभग दो वर्ष का समय शेष है और ऐसी संभावना है कि लोकसभा चुनाव के साथ ही हरियाणा में चुनावी बिगुल बज सकता है। गुरुग्राम से भाजपाई विधायक उमेश अग्रवाल की भाभी हिमानी अग्रवाल की पराजय को एक भाजपाई साजिश के तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा विधायक उमेश अग्रवाल की मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से खिलाफत उसे भारी पड़ी है। भाजपाई असंतुष्टों को इस चुनाव से संकेत दिया गया है कि नाराजगी उनके राजनीतिक भविष्य पर प्रश्र चिह्न लगा सकती है। गुरुग्राम नगर निगम चुनाव परिणाम ने भाजपा को राजनीतिक आईना दिखा दिया है। कांग्रेस की भूमिका से स्पष्ट हो गया है कि मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर ही सच्चे कांग्रेस सिपाही बनकर उभरे है और उनका शीर्ष नेतृत्व के प्रति विश्वास में इजाफा हुआ है, जबकि चुनाव से दूरी बनाए रखने वाले कांग्रेसी दिग्गजों की कांग्रेस के प्रति आस्था उजागर हो गई है। बागी और निर्दलीयो की बदौलत गुरुग्राम की चौधर किसे मिलेगी, यह तो आने वाला समय ही बताएगा, मगर मानवती का यह कुनबा गुरुग्राम के मतदाताओं की उम्मीदों पर खरा उतर पाएगा, इस प्रश्र का उत्तर प्रश्र के गर्भ में है।

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