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माननीयों की सुविधाओं को लेकर "प्रैसवार्ता" का एक सर्वेक्षण


सिरसा (प्रैसवार्ता) उत्तरी भारत की प्रथम न्यूज एजेंसी "प्रैसवार्ता" द्वारा माननीयों को दी जा रही सुविधाओं को लेकर किये गये एक सर्वेक्षण में 78 प्रतिशत मतदाताओं ने इन सुविधाओं में कटौती की वकालत की है, जबकि 12 प्रतिशत ने इसे बंद करने की सिफारिश की है। वर्तमान में देश भर में 4120 एम.एल.ऐ तथा 462 एम.एल.सी है, जिनपर प्रति माननीय वेतन व भत्ते के रूप में करीब दो लाख रुपये प्रति मास के हिसाब से 91 करोड़ 64 लाख रूपये यानि 1100 करोड़ रुपये सरकारी कोष से वसूलते है। इसके अतिरिक्त इन्हें रहने के लिये आवास, यात्रा भत्ता, उपचार, निजी वाहन खरीदने के लिये रियायती दर पर कर्ज इत्यादि सुविधाओं का खर्च भी सरकारी कोष से मिलता है। इसी प्रकार लोकसभा व राज्यसभा के 776 सांसदों को करीब पांच लाख रूपये खर्च प्रति मास यानि 38 करोड़ 80 लाख रूपये है, जो 465 करोड़ 60 लाख रूपये वार्षिक बनता है। इसके अलावा अन्य सुविधाओं पर 30 अरब रूपये सरकार को खर्च करने पडते हैं। माननीयों की सुरक्षा में लगे पुलिसिया तंत्र पर भी करोडों रूपयों का बोझ भी सरकारी कोष पर पडता है। जैड श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त मंत्री,राज्यपाल, प्रधानमंत्री,मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति,उप राष्ट्रपति सहित वी.आई.पी. का खर्च भी करोडो रुपये प्रति मास होता है। ज्यादातर मतदाता चाहते हैं कि माननीयों पर होने वाले खर्च में कटौती तथा सुविधाओं में कमी के साथ वेतन,भत्ते कम कियें जायें, जबकि पूर्व विधायकों, सासंदो की पैंशन व भत्ते बंद किये जायें।कुछ मतदाता की सोच है कि अदालतों द्वारा दंडित तथा विचाराधीन मामलों में संलिप्त माननीयों को किसी भी प्रकार की कोई सुविधा न दी जाये।

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