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सिरसा(प्रैसवार्ता)। भाजपाई मिशन 2019 को लेकर देशभर में सक्रिय हो चुकी भाजपा ने हरियाणा में दो दिवसीय मंथन किया, जिससे प्रमुख विपक्षी दल इनैलो तथा कांग्रेस में हलचल मच गई। हरियाणा में पहली बार सत्ता में आई भाजपा के अढ़ाई वर्ष पूरे हो चुके है और इस अवधि के दौरान प्रदेशवासियों को जाट आरक्षण आंदोलन दौरान हिंसक नृत्य का दंश झेलना पड़ा। कांग्रेस को आपसी लट्ठम से फुर्सत नहीं, जबकि इनैलो अपने शीर्ष नेताओं की दस वर्षीय सजा से उभरी नहीं है। कांग्रेस के मौजूदा प्रधान अशोक तंवर का पूर्व मुख्यमंत्री हरियाणा भूपेंद्र सिंह हुड्डा से छत्तीस का आंकड़ा है, जिस वजह से भूपेंद्र सिंह हुड्डा की हरियाणा में समांतर कांग्रेस चल रही है। भाजपाई शासन ने अपने अढ़ाई वर्ष के कार्यकाल में प्रदेशवासियों को भले ही कोई प्रसन्नता नहीं दी, मगर उसके अपने भी सरकार से ना खुश है। हरियाणा के दस संसदीय क्षेत्रों में से सात पर भगवा ध्वज फहराया जा चुका है, मगर इनमें से पांच लोकसभा सांसद नाराज है। इसी प्रकार विधानसभा के 47 सदस्यों में से 18 ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। हरियाणा की मौजूदा राजनीति से हरियाणवी भी प्रसन्न नजर नहीं आते, क्योंकि भाजपा, इनैलो व कांग्रेस अपनी सही राजनीतिक भूमिका नही निभा रही। अपनों की नाराजगी की चपेट में आ चुकी भाजपा को सबसे बड़ा राजनीतिक लाभ इनैलो व कांग्रेस से मिल रहा है। कांग्रेस और इनैलो की हिचकौले खा रही राजनीति का राजनीतिक फायदा उठाने के लिए भाजपा ने दो दिवसीय मंथन के माध्यम से चुनावी बिगुल बजा दिया है, जिसे भाजपा मिशन २०१९ का एक अंश माना जा सकता है। भाजपा ने अपने अढ़ाई वर्ष के कार्यकाल में हरियाणा वासियों की उम्मीदें पूरी नहीं की, मगर अब शेष बचे अढ़ाई वर्ष में लोगों की नाराजगी दूर करने की योजना बनाकर भाजपाईयों को प्रचार-प्रसार की डुगडुगी थमा दी जा रही है, जो केंद्र तथा प्रदेश सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं तथा उपलब्धियों को लेकर लोगों को जागरूक करेंगे। राजनीतिक पंडित क्यास लगा रहे है कि भाजपा के दो दिवसीय करनाल मंथन में असंतुष्ट भाजपाई दिग्गज करिश्मा दिखाएंगे, मगर करिश्मा दिखाई नहीं दिया। भाजपा के इस मंथन में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर एक बार फिर असंतुष्टों पर भारी नजर आए। असंतोष के बावजूद भी भाजपाई के शीर्ष नेतृत्व द्वारा असंतुष्टों को कोई तव्वजों न देना से स्पष्ट संकेत मिलता है कि भाजपाई शीर्ष नेतृत्व मौजूदा भाजपाई शासन से प्रसन्न है और वह असंतुष्टों के किसी दवाब में नहीं आना चाहता। शीर्ष नेतृत्व का रवैया तथा सीएम मनोहर लाल के बदलते तेवरों ने अंसतुष्टों को संतुष्टी की राह दिखा दी है।
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