geeta bhukal |
सिरसा(प्रैसवार्ता)। नेतृत्व परिवर्तन को लेकर हरियाणवी कांग्रेस में चल रही उठापटक पर अंकुश लगाने के लिए राजनीतिक परिस्थितियों का मंथन करते हुए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने नेतृत्व परिवर्तन की तैयारी कर ली है, जिसके लिए तैयारी की पटकथा को भी अमलीजामा पहनाया जा सकता है। हरियाणा में कांग्रेस के साथ साथ पूर्व मुख्यमंत्री हरियाणा भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी समांतर कांग्रेस चला रहे है, जिसमें कांग्रेसी सांसद, विधायकों, पूर्व सांसद व विधायकों के अतिरिक्त कांग्रेसी दिग्गजों की एक लंबी फौज शामिल है। कांग्रेस के मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर की प्रधानगी कार्यकाल पूरा हो चुका है तथा वह दूसरी पारी के लिए एडी-चोटी का जोर लगाए हुए है। दूसरी तरफ नेतृत्व परिवर्तन को लेकर भूपेंद्र हुड्डा के सैनिकों ने मोर्चा खोला हुआ है। तंवर और भूपेंद्र हुड्डा के राजनीतिक मतभेद शब्दों की जंग से आगे बढ़कर हाथापाई-मार कुटाई तक पहुंच चुके है, जिससे प्रदेश के कांग्रेसीजन न सिर्फ उलझन में है, बल्कि ज्यादातर निष्क्रिय हो गए है या फिर कांग्रेस को अलविदा कह चुके है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने अपने स्तर पर हरियाणवी कांंग्रेस की गुटबाजी की रिपोर्ट मंगवाकर नेतृत्व परिवर्तन को उचित समझते हुए अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया है, जबकि भूपेंद्र हुड्डा खेमे ने गीता भुक्कल को कमान सौंपे जाने की पुरजोर वकालत शुरू कर दी है। हुड्डा खेमे की दलील है कि गीता भुक्कल न सिर्फ एक महिला है, बल्कि दलित समाज से संबंध रखती है, जबकि अशोक तंवर इसी समाज से है। नेतृत्व परिवर्तन को लेकर दलित वर्ग में नाराजगी न बढ़े, इसलिए भूपेंद्र हुड्डा की सेना ने गीता भुक्कल का नाम सुझाया है। तंवर और गीता भुक्कल झज्जर जिला से संबंध रखते है, जो रोहतक संसदीय क्षेत्र में आता है। रोहतक से वर्तमान में भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा सांसद है। भूपेंद्र हुड्डा को यह भी राजनीतिक भय सता रहा है कि कहीं तंवर रोहतक संसदीय क्षेत्र के झज्जर जिला के दलित मतदाताओं के माध्यम से वर्ष 2019 में होने वाले संसदीय चुनाव में दीपेंद्र की राजनीतिक मुश्किलें न बढ़ा दें। इसलिए गीता भुक्कल की ताजपोशी उनकी राजनीतिक मजबूरी है। ऐसा भी संभावना है कि भूपेंद्र हुड्डा फौज के बढ़ते दवाब की बदौलत कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व तंवर को राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल करके हरियाणवी राजनीति से दूर कर दें। मौजूदा प्रदेश का राजनीतिक मानचित्र दर्शाता है कि कांग्रेस संगठन की मजबूती के लिए भूपेंद्र हुड्डा के साथ कुलदीप बिश्रोई अहम् भूमिका निभा सकते है। भूपेंद्र हुड्डा की जाट तथा दलित वर्ग पर पकड़ मजबूत है, तो कुलदीप बिश्नोई गैर जाट और पिछड़ा वर्ग में अच्छा रसूख रखते है। भूपेंद्र हुड्डा और कुलदीप बिश्रोई पिछले राजनीतिक मतभेद भुलाकर हरियाणवी कांग्रेस को मजबूती देना चाहे, तो इससे कांग्रेस को जरूर फायदा होगा। राज्य के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा पूरे यौवन पर ै कि हरियाणवी कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन होगा और गीता भुक्कल की लॉटरी लग सकती है।
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