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बरनावा(प्रैसवार्ता)। संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह इन्सां ने कहा कि सत्संग, सेवा, सुमिरन। तीन ऐसी बातें हैं, जो बेहद जरूरी है, आत्मा के लिए। इंसान का मन जब अहंकारी हो जाता है, गरूर, घमंड करने लग जाता है तो इंसान राम नाम में बहुत पिछड़ जाता है। सत्संग में आकर पता चलता है कि कौन से कार्य करने चाहिए और कौन से कार्य नहीं करने चाहिए। वे रविवार को स्थानीय शाह सतनाम जी धाम में आयोजित एमएसजी भंडारे को संबोधित कर रहे थे। पूज्य गुरुजी के 50वें गोल्डऩ जुबली अवतार दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस भंडारे में उत्तरप्रदेश व उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने शिरकत की। इस अवसर पर हजारों लोगों ने गुरुमंत्र हासिल कर बुराइयां त्यागने का संकल्प लिया। सत्संग के दौरान हजारों लोगों ने जाम ए इन्सां गुरु का ग्रहण कर मानवता भलाई कार्यों में बढ़ चढ़ कर भाग लेने का प्रण लिया।
समाधि के दौरान किया है रामायण-महाभारत का अनुभव: - संत डॉ. गुरमीत राम रहीम इन्सां ने कहा कि भारतीय संस्कृति बहुत ज्यादा हाईटैक थी। हमारे वेदों-धर्म ग्रंथों में ये लिखा है। अगर आप अपनी संस्कृति को फिर से अपना लें तो यह महान बन सकती है। हमारे धर्म ग्रंथ महा साईंस थे। अपनी संस्कृति को छोटा ना मानो। पूरी दुनियां को जिसने प्रेम करना सिखाया, पूरी दुनियां को प्रेम करना सिखाया ... यह है हमारी संस्कृति। उन्होंने कहा कि भगवान श्री राम भी थे और श्री कृष्ण जी भी थे। रामायण और महाभारत काल सत्य है। पूज्य गुरुजी ने कहा कि उन्होंने स्वयं समाधि के दौरान रामायण व महाभारत का अनुभव किया है। उन्होंने कहा कि हमारे वेद ग्रंथ महा साईंस है। विदेशी आक्रमणकारियों ने हमारी विरासत व आत्मविश्वास को खत्म करने के लिए नालंदा विश्वविद्यालयों जैसे संस्थानों में रखे अनगिनत दिव्य ग्रंथों को जलाकर नष्ट कर दिया। अपनी धरोहर से विमुख होकर हम उनके और उनके द्वारा थोपी गई धारणाओं के गुलाम बनते चले गए और जिनसे हम अभी तक उभर नहीं पा रहे हैं। प्राचीन काल में अर्जून जैसे योद्धा एटम-परमाणु अपने कंधों पर रखते थे और परमाणु शस्त्र को चलाने के बाद उन्हें रोकने की भी क्षमता उन योद्धाओं में थी। लेकिन आज हम मानसिक गुलामी की वजह से इन तथ्यों से मुंह मोड़े हुए हैं। उस ईश्वर प्रभु की भक्ति कीजिए, जिसे सारे खंड ब्रह्मांड बनाए। उसका जाप करने से आपको जीते जी मोक्ष मिलेगा और मुक्ति मिलेगी। प्रतिदिन सुबह शाम ईश्वर की भक्ति के लिए समय निकालो। राम का नाम लेते हुए प्रभु की भक्ति करते हुए जैसे जैसे आगे बढ़ेंगे, आपके गम, चिंता दूर होती जाएंगी। आलौकिक नजारें मिलने शुरु हो जाएंगे।
थोड़ा समय ईश्वर की याद में बिताया करो:- संत डॉ. गुरमीत राम रहीम इन्सां ने कहा कि थोड़ा समय ईश्वर की याद में जरूर बिताया करो, वो सब परेशानियां दूर कर देता है और जायज मांगे तुरंत पूरा कर देेते हैं। वर्तमान समय में इंसान कुदरत से मिले तोहफों को ठुकराए बैठा है। जिस कारण बहुत सारे रोग इंसान को घेरे हुए हैं। सुबह सूरज उगने से पहले उठो। सूरज छिपने से पहले खाना खा लेने से शरीर में बैक्टिरिया-वायरस नहीं जाते। अपने शरीर- सेहत के लिए समय दो। सुबह सवेरे उठकर घूमे, वो आपकी सेहत के लिए नायाब तोहफा होगा।
आत्मबल को बढ़ाने के लिए राम नाम जरूरी:- संत डॉ. गुरमीत राम रहीम इन्सां ने कहा कि आज का दौर कलयुग का दौर है, ऐसा समय जहां हाथ को हाथ खाए जा रहा है। लोग बुराइयों के नुमायदें बन जाते हैं और राम नाम से जी चुराते हैं। सच्चाई नेकी को अपनाते हैं बहुत कम लोग और बुराई से जुड़ जाते हैं। और यहीं वजह है इंसान टैंशन, चिंता, परेशानियों से भरा हो। आत्मबल- विल पॉवर को बढ़ाने के लिए सेवा-सुमिरन जरूरी है। सेवा की शुरूआत अपने घर से करो। जहां आप रह रहे हैं, कोई भूखा-कोई बीमार कोई तकलीफ में हैं जाकर उसे खाना दीजिए, उसकी बीमारी का इलाज करवाइए, हो सके तो उसके रहने का इंतजाम कीजिए। यह महान सेवा है। वैसे तो सभी जीव जंतु भगवान की औलाद है और जो उसकी औलाद की सेवा करता है उसे असीम आनंद, शांति मिलती है। लेकिन लोग कह देते हैं हमारे पास समय नहीं है, बहुत सारे काम धंधे हैं। यह तो आपकी बहानेवाजी है, यह तो आपके सोचने का गलत अंदाज है। हकीकत यह है कि समय तो आपके पास है पर आप मानवता भलाई कार्य करना, राम का नाम लेना फिजुल की बातें समझते हो। जबकि यह सही नहीं है, दुनियादारी के काम धंधे कोई साथ जाने वाले नहीं है।
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