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हरियाणा की भाजपा सरकार बनी एक प्रयोगशाला: अफसरशाही परेशान

सिरसा(प्रैसवार्ता)। हरियाणा की भाजपा सरकार द्वारा अपने करीब तीन वर्ष के कार्यकाल को एक प्रयोगशाला बनाकर अफसरशाही पर तबादलों की झडी लगाते हुए उनकी बेचैनी बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने अपने राजनीतिक अनुभव का ज्ञान प्राप्त करने के लिए तीन वर्ष के कार्यकाल में बड़ी घटनाओं के साथ ही तीन डीजीपी, तीन गृह सचिव तथा इतने ही ऐपीएस का तबादला किया है। वरिष्ठ अधिकारियों के तबादलों को भले ही सामान्य प्रक्रिया कहा जाए, मगर दवाब के चलते हुए तबादलों से अफसरशाही चिंतित है। सीएम के इस तर्जुेबे ने प्रदेश को संत रामपाल प्रकरण, जाट आरक्षण आंदोलन तथा गुरमीत राम रहीम प्रकरण के माध्यम से प्रदेशवासियों में असुरक्षा की भावना बढ़ा दी है, जो निकट भविष्य में होने वाले चुनाव में भाजपा के लिए भारी पड़ सकती है। भाजपाई शासन के इस तबादला अभियान से पूर्व की सरकारों द्वारा सेवानिवृत्ति उपरांत ही डीजीपी, गृह सचिव जैसे नए पदों पर नई नियुक्तियां दी जाती रही है। संभव है कि यह प्रथम अवसर हो कि हरियाणा में इतने महत्त्वपूर्ण व संवेदनशील पदों को भाजपाई प्रयोगशाला में तजुर्बे के लिए इस्तेमाल किया गया हो। भाजपाई शासन में रामपाल प्रकरण में तत्कालीन गृह सचिव पीके महापात्रा तथा डीजीपी एनके वशिष्ठ को इस पद से हटाया गया, जबकि जाट आरक्षण आंदोलन में फैली हिंसा और करोड़ों रुपयों की क्षति का ठीकरा गृह सचिव पीके दास तथा डीजीपी वाईपी सिंगल पर फोड़ा गया। अपने तर्जुेबे का आंकड़ा बढ़ाते हुए भाजपा शासन ने पुरानी परंपरा को बरकरार रखते हुए राम रहीम प्रकरण में गृह सचिव राम निवास की छुट्टी कर दी गई, जबकि डीजीपी बलजीत सिंह संधु बाल बाल बचे है। मुख्यमंत्री कार्यालय में भी इससे पूर्व वरिष्ठ अधिकारी संजीव कौशल, सुमित मिश्रा तथा भूपेंद्र सिंह पदमुक्त किया जा चुका है। वर्तमान में इस कार्यालय में आर के खुल्लर तथा मनदीप बराड़ तैनात है। सुना तो यह भी जा रहा है कि हरियाण की बहुचर्चित जेबीटी घोटाले की अहम् गवाह आईएएस रजनी शेखरी सिब्बल की केंद्र से वापिसी उपरांत सीएम कार्यालय में महत्त्वपूर्ण जिम्मेवारी दी जा रही है। हरियाणा में भाजपाई  शासन बनते ही केंद्र से वापिस हरियाणा लाने पर रजनी शेखरी सिब्बल का इनैलो द्वारा विरोध भी किया जा चुका है। सिब्बल 29 फरवरी 2020 को सेवानिवृत्त होगी तथा वर्तमान में वह केंद्र सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय में रोजगार एवं प्रशिक्षण विभाग की महानिदेशक है। अपने तजुर्बे के लिए अफसरशाही पर प्रयोग कर भाजपा सरकार से अफसरशाही में बेचैनी का आलम स्पष्ट देखा जा सकता है।

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