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बिखरने की कगार पर है भूपेंद्र हुड्डा का कुनबा, तंवर की बढ़ रही है फौज

सिरसा(प्रैसवार्ता)। हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर ज्यों-ज्यों कानूनी शिंकजा कसता जा रहा है, त्यों-त्यों उसके समर्थकों की राजनीतिक धड़कने बढ़ रही है। ज्यादातर हुड्डा समर्थकों का रूझान अशोक तंवर की ओर तेजी से बढ़ रहा है। हुड्डा के करीबी कांग्रेसी दिग्गजों ने अशोक तंवर के करीबियों से तालमेल बनाना शुरू कर दिया है, जो भूपेंद्र हुड्डा की राजनीति के लिए शुभ संकेत नहीं कहा जा सकता। भूपेंद्र हुड्डा के दस वर्ष के मुख्यमंत्री कार्यकाल में मलाई खाने वाले कांग्रेसी दिग्गजों की बेचैनी इसलिए बढ़ रही है, कि कहीं वह भी भपूेंद्र हुड्डा के साथ कानूनी चपेट में उलझ कर न रह जाए। राज्य के 17 कांग्रेसी विधायकों में से 13 खुल्लम-खुल्ला भूपेंद्र हुड्डा के समर्थन में देखे जा रहे है, जबकि पूर्व सांसदों व विधायकों की एक लंबी फौज भूपेंद्र हुड्डा के पक्ष में रही है, मगर बदलते राजनीतिक मानचित्र ने उनकी सोच में बदलाव ला दिया है। सूत्रों के अनुसार करीब डेढ़ दर्जन पूर्व विधायक व सांसद, आधा दर्जन मौजूदा कांग्रेसी विधायक अशोक तंवर की दूसरी पारी का बेसब्री से इंतजार कर रहे है। अशोक तंवर ने अपनी प्रधानगी के तीन वर्ष के कार्यकाल में कांग्रेेसी दिग्गजों की बजाए कांग्रेसीजनों को तव्वजों देकर संगठन को मजबूत करने का प्रयास किया। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अशोक तंवर के हर प्रयास में भूपेंद्र हुड्डा समर्थकों ने बाधाएं खड़ी की है। हरियाणवी कांग्रेस का दिलचस्प पहलू यह है कि कांग्रेस के दिग्गज नेता कैप्टन अजय यादव, राज्यसभा सदस्या सुश्री शैलजा, विधानसभा हरियाणा में कांग्रेस की विपक्षी नेता किरण चौधरी इत्यादि के भूपेंद्र हुड्डा से राजनीतिक मतभेद जग-जाहिर है, जबकि कुलदीप बिश्रोई के पिता स्वर्गीय भजनलाल ने भूपेंद्र हुड्डा की राजनीतिक  पटकनी की बदौलत कांग्रेस से अलविदाई लेकर हरियाणा जनहित कांग्रेस का गठन किया था, जो अब डॉ. तंवर के प्रयासों से कांग्रेस में विलय हो चुकी है। भूपेंद्र हुड्डा को, जहां अपनों के ही विरोधियों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं प्रमुख विपक्षी दल इनैलो तथा सत्तारूढ़ भाजपाई शासन से भी जूझना पड़ रहा है। भूपेंद्र हुड्डा पर भ्रष्टाचार के बढ़ते जांच आंकड़ों से उनके समर्थक परेशान है और वह भयभीत है कि कहीं किसी घोटाले में वह भी न लपेट लिए जाए। हरियाणवी कांग्रेस का एक बड़ा वर्ग अशोक तंवर की दूसरी पारी पर फोक्स बनाए हुए है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से तंवर को हरी झंडी मिलते ही हरियाणवी कांग्रेस की तस्वीर में बदलाव देखने को मिल सकता है। सत्तारूढ़ भाजपा तथा इनैलो की नजरें भी कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के निर्णय पर लगी है, क्योंकि तंवर की दूसरी पारी हरियाणवी कांग्रेस के लिए एक संजीवनी साबित हो सकती है और इसी के साथ कांग्रेसी परिवार बढ़ सकता है।

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